सोनू और भीड़े का माधवी के साथ एक बेहद खास रिश्ता था। वे गोकुलधाम सोसायटी के पड़ोस में रहते थे और हमेशा एक-दूसरे के साथ वक़्त गुज़ारने का मौक़ा ढूंढते रहते थे। इनकी दोस्ती उनकी ज़िंदगी की सबसे अद्वितीय बात थी जिसका सबको एहसास था। गोकुलधाम सोसायटी के लोग भी इनकी दोस्ती की बजाय यही सोचने लगे थे कि ये तो एक दूसरे के बिना अधूरे हैं।
एक दिन, गोकुलधाम सोसायटी में एक बड़ा मेला आयोजित हुआ। सभी सोसायटी के लोग बड़े उत्साह से मेले की तैयारियों में जुट गए। सोनू और भीड़े भी इस मेले में हिस्सा लेने का निर्णय लिया। उन्होंने सोचा कि वे माधवी को एक सरप्राइज़ देंगे और उसे मेले के लिए एक विशेष मुलाकात आयोजित करेंगे।
मेले के दिन, सोनू और भीड़े ने माधवी को उनके साथ बैठने के लिए आमंत्रित किया। माधवी ने खुशी-खुशी सहमति दी और तय किए गए समय पर उनके घर पर पहुँची। सोनू और भीड़े ने उसे मज़ेदार खेलों में शामिल करने का वादा किया था। माधवी ने उनके साथ समय बिताने का उत्साहपूर्ण मनस्थिति से स्वीकार किया।
मेले में पहुँचकर, तीखी मिठाइयों की खुशबू और रंगीन वस्त्रों की बरसात ने सबको मोहित कर दिया। सोनू और भीड़े ने माधवी के साथ मेले के हर पवित्र स्थल पर रुककर मस्ती की। उन्होंने खेलों में हिस्सा लिया, मिठाईयाँ खाईं, और अच्छे समय का आनंद लिया। उनकी हंसी-मजाक ने माधवी को भी बहुत खुश किया।
धीरे-धीरे, रात का प्रकाश मेले के आसमान को आवरण करने लगा। माधवी ने घड़ियाल पर नजर डाली और हैरानी से देखा कि समय इतनी जल्दी कैसे बित गया। उसने सोनू और भीड़े से कहा, "अब रात हो गई है और हमें घर जाना चाहिए।"
सोनू और भीड़े ने माधवी के बिना मिले ही एक योजना बनाया था। वे चाहते थे कि माधवी उनके साथ रहे बिना ही उनके घर जाए। इसके लिए, उन्होंने माधवी
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